अस्तित्व खोते जा रहे बुंदेलखंड के चंदेल कालीन तालाब, पुनर्जीवन की जरूरत- डॉ संजय सिंह


 
यात्रा के दसवें दिन पपौराजी जैन तीर्थ पहुंची जल सहेलियों का पैदल मार्च


 टीकमगढ़। जल सहेलियों द्वारा जल संरक्षण के लिए निकाला गया यह पैदल मार्च एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक कदम है, जो गांधी जी के आंदोलनों की याद दिलाता है। जिस तरह महात्मा गांधी ने देश की आज़ादी के लिए अपनी यात्रा शुरू की थी, ठीक उसी तरह जल सहेलियों ने बुंदेलखंड में पानी की किल्लत से निपटने के लिए अपना कदम बढ़ाया है। यह मार्च न केवल जल बचाने की जागरूकता फैला रहा है, बल्कि यह एक महिला नेतृत्व वाले सामाजिक आंदोलन का प्रतीक बन गया है यह बात सभा को संबोधित करते हुए एकता परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणसिंह परमार ने कही | 
जल यात्रा आज अपने दसवें दिन टीकमगढ़ के बड़ा तालाब से होते हुए अंगड़ा, पपौरा जी, माड़ूमर, पठा, बटपुरा, जरउआ और गुदनवारा पहुंची।
इस दौरान शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पठा में जल सहेलियों द्वारा जल चौपाल का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं को जल सहेलियों द्वारा जल संरक्षण के उपायों के बारे में जानकारी दी गई।
यात्रा का नेतृत्व कर रहे डॉ. संजय सिंह ने कहा, "चंदेल काल में बनाए गए ये तालाब जल संचयन और कृषि के लिए महत्वपूर्ण थे, लेकिन समय के साथ इनकी हालत खराब हो गई है। प्राकृतिक और मानवीय कारणों से इन तालाबों में गंदगी, बर्बादी और जलभराव की कमी हो गई है।" 
जल सहेली पुष्पा ने कहा, "हम सभी जल सहेलियां बुंदेलखंड को पानीदार बनाने और समाज को जल के प्रति संवेदनशील करने के उद्देश्य से 2 फरवरी से 19 फरवरी तक जटाशंकर धाम तक यात्रा कर रहे हैं । इस दौरान हम चंदेल कालीन तालाबों और छोटी नदियों को बचने के लिए लगातार समाज को जागरूक कर रहे हैं "
पपौराजी जैन तीर्थ के प्रमुख राजेंद्र पोद्दार ने कहा कि बुंदेलखंड का ऐतिहासिक धरोहर, चंदेल कालीन तालाब, जो कभी इस क्षेत्र की जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत थे, आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। टीकमगढ़ जिले में लगभग 10,000 से ज्यादा छोटे-बड़े ताल-तलैया हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ ये तालाब अतिक्रमण की चपेट में आकर अब लगभग 500 के आसपास रह गए हैं। पहले टीकमगढ़ चारों ओर से नहरों से घिरा हुआ था और पानी से भरपूर था, लेकिन आज पानी की समस्या काफी बढ़ गई है। 

पठा गांव के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में जल चौपाल को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्य चंद्रभान जैन ने कहा, "जल सहेलियों ने यह नेक काम करने की जो ठानी है, यह यात्रा आज भले ही छोटे रूप में दिख रही हो, लेकिन आगे चलकर यह एक विराट रूप लेगी। हम सभी को इस यात्रा को सफल बनाने के लिए घर से महिलाओं और पुरुषों को प्रेरित करना चाहिए, ताकि हम पानी को बचा सकें और हमारे तालाबों और बावड़ियों को संरक्षित कर सकें। तभी हम पानी को सुरक्षित रख पाएंगे।"

इस दौरान  पं. शिवेंद्र द्विवेदी जी, रंजन अग्निहोत्री और जैन समिति के सदस्यों ने जल सहेलियों का जैन तीर्थ में स्वागत किया और यात्रा को सराहनीय कदम बताया।
यात्रा में स्थानीय गांव के लोग और सैकड़ों छात्र छात्राओं सहित जल सहेलियां यात्रा में शामिल रहीं।

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